(Iran Israel War) ईरान और इज़राइल के बीच लंबे समय से जारी तनाव अब एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जिससे दोनों देशों के बीच सीधे युद्ध की संभावना तेज़ हो गई है। हाल के घटनाक्रमों से संकेत मिल रहे हैं कि मध्य पूर्व में स्थिरता बनाए रखना और भी कठिन होता जा रहा है, और इस क्षेत्र में शक्तियों के संतुलन को एक बड़ा झटका लग सकता है।
ईरान और इज़राइल के बीच विवाद की जड़ें दशकों पुरानी हैं। 1979 में ईरान में हुए इस्लामिक क्रांति ने देश को पश्चिमी देशों से दूरी बना ली और इज़राइल को अपना मुख्य विरोधी घोषित किया। दूसरी ओर, इज़राइल ने पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका के साथ अपने घनिष्ठ संबंध बनाए रखे और ईरान के उभरते हुए क्षेत्रीय प्रभाव को अपने अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखा।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम ने इस संघर्ष को और गहरा कर दिया है। हालांकि ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन इज़राइल और पश्चिमी शक्तियाँ इसे परमाणु हथियारों के विकास के प्रयास के रूप में देखती हैं, जो इज़राइल के लिए एक बड़ा खतरा माना जा रहा है।
पिछले कुछ महीनों में इज़राइल ने ईरान पर सीरिया, लेबनान और इराक में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने का आरोप लगाया है। इज़राइली वायु सेना ने सीरिया में कई हवाई हमले किए हैं, जिनका उद्देश्य ईरानी बलों और हथियारों की आपूर्ति को रोकना है। इज़राइल का दावा है कि वह ईरान की सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ती सैन्य उपस्थिति को रोकने के लिए यह कार्रवाई कर रहा है।
दूसरी ओर, ईरान ने अपनी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के माध्यम से सीरिया और लेबनान में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर इज़राइल अपने हवाई हमलों को जारी रखता है, तो उसके “गंभीर परिणाम” हो सकते हैं।
हालांकि ईरान और इज़राइल के बीच सीधा सैन्य संघर्ष अभी तक पूरी तरह से नहीं हुआ है, लेकिन दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ साइबर और गुप्त युद्ध में लगे हुए हैं। इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद को ईरान में कई गुप्त अभियानों से जोड़ा गया है, जिनमें परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या और परमाणु स्थलों पर हमले शामिल हैं। ईरान ने भी इज़राइल की महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर साइबर हमले किए हैं, जिनमें पानी और बिजली आपूर्ति को बाधित करने की कोशिश की गई है।
इस साइबर युद्ध में दोनों देश अपनी क्षमताओं को लगातार विकसित कर रहे हैं। इज़राइल की राष्ट्रीय साइबर निदेशालय ने हाल ही में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर साइबर हमलों में वृद्धि की सूचना दी है, जिनके पीछे ईरानी हैकरों का हाथ होने का संदेह है। वहीं, ईरान में भी कई रहस्यमय विस्फोट और औद्योगिक दुर्घटनाओं की खबरें आई हैं, जिन्हें इज़राइली गुप्त ऑपरेशनों से जोड़ा जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका, रूस और यूरोपीय शक्तियां, दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के प्रयासों में लगे हुए हैं। हालांकि, कूटनीतिक प्रयासों को दोनों देशों की आंतरिक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती जटिलताओं के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इज़राइल के प्रधानमंत्री का रुख स्पष्ट है कि वे ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं देंगे। इज़राइली नेतृत्व ने खुले तौर पर कहा है कि यदि आवश्यक हुआ तो वह ईरान पर सैन्य कार्रवाई करेगा।
वहीं, ईरानी नेतृत्व इज़राइल की कार्रवाइयों को अपनी संप्रभुता पर हमला मानता है। तेहरान ने अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने की मांग की है, जिसे वॉशिंगटन ने अभी तक पूरा नहीं किया है, और इसे परमाणु वार्ता में शामिल होने की शर्त के रूप में रखा है।
वर्तमान स्थिति बेहद संवेदनशील है और कई कारक हैं जो युद्ध की चिंगारी को भड़का सकते हैं। सीरिया, लेबनान और गाजा पट्टी जैसे क्षेत्र संभावित संघर्ष क्षेत्रों के रूप में उभर सकते हैं, जहां ईरान का प्रभावी नियंत्रण है। एक छोटी सी गलतफहमी या उकसावे वाली कार्रवाई बड़े पैमाने पर युद्ध में तब्दील हो सकती है, जो पूरे क्षेत्र को प्रभावित करेगी।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध छिड़ता है, तो इसका असर पूरे मध्य पूर्व पर पड़ेगा। इस संघर्ष में अमेरिका, रूस और तुर्की जैसी वैश्विक शक्तियां भी खिंच सकती हैं, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पूरी तरह से चरमरा सकती है।
ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव ने पूरे विश्व को चिंता में डाल दिया है। दोनों देशों के बीच समझौता करने की संभावनाएं धूमिल होती दिख रही हैं, और एक बड़े युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है। कूटनीति अभी भी एक विकल्प हो सकती है, लेकिन इसके सामने गंभीर चुनौतियाँ हैं। आने वाले महीनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह संघर्ष और अधिक हिंसक होता है या शांति की दिशा में कोई नया रास्ता खुलता है।
मध्य पूर्व की शांति और स्थिरता अब (Iran Israel War) ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच झूल रही है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में स्थिति किस दिशा में जाती है।
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